इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है
नाग ज़हरीला हमारे बीच ऐसा कौन है

प्रेम और सद्भाव दोनों लापता हैं इन दिनों
शह्र में अब चैन की बंशी बजाता कौन है

सारी दुनिया जल रही है नफ़रतों की आग में
रात-दिन इसको हवा यूँ देने वाला कौन है

सारे मायावी शिकारी हैं हमारे आस-पास
क्या पता किसके निशाने पर परिंदा कौन है

कोई हिंदू कोई मुस्लिम कोई सिख ईसाई है
आदमीयत की यहाँ अब बात करता कौन है

दीनो-मज़हब पर सभी ईमान रखते हैं मगर
दीनो-मज़हब के कहे रस्ते पे चलता कौन है

सो गए हैं लोग अपनी-अपनी मिट्टी ओढ़ कर
हम किरन किसको जगाएँ जगने वाला कौन है।


Image : Old molokan in a light shirt
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Vereshchagin
Image in Public Domain

प्रेम किरण द्वारा भी