रात भर जागा हूँ

रात भर जागा हूँ

रात भर जागा हूँ पलकें नम नहीं
अपनी मायूसी का मुझको गम नहीं

ख्वाब है तो ख्वाब जैसा ही रहे
भीड़ का बन जाए ये परचम नहीं

खुद पे जाने कब तुझे हँसना पड़े
गम निभा लेने का तुझमें दम नहीं

तेरा कहलाने का मतलब ये न था
तू ही तू में ही रहें, हम, हम नहीं

वक्त की आँखों से आकर बह गई
ज़िंदगी तू आँसुओं से कम नहीं।


Image : Self-Portrait
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Surikov
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