बढ़ाया डेग घुमक्कड़ पुनः

बढ़ाया डेग घुमक्कड़ पुनः

बढ़ाया डेग घुमक्कड़ पुनः

कदम-कदम कर धरती नापे
पर्वत मापे, खाई मापे
पता नहीं कब शाम हो गई
और हुई कब सुबह

रमता जोगी बहता पानी
अनुभव की यह कहे कहानी
सबसे मिलना, सबसे जुलना
सबसे ही बस सुलह

मुंबई तो माया नगरी है
आज राह उसकी पकड़ी है
मित्रों-यारों से मिलना है
नहीं पाड़ना गिरह!


Image: untitled-1909
Image Source : WikiArt
Artist : Max Ernst
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