सारे गम तू गा

सारे गम तू गा

सारे गम सिर से उतारकर
सारे गम तू गा।
रूखी धरती पर गंगा-सी
हरियाली तू ला।

बदल आज के आज
मुहर्रम वाले ये चेहरे
घुसपैठों का नया सिलसिला
चोंच मार ठहरे
न्यायालय में मृतक न्याय की
प्रेतात्मा नाचे
और फिरंगी भूत बजाए
तबला ताधिन्ना।

तुझे मिला संगीत सुहाना
सुख की वर्षा कर
सुंदरवन! बेसुरी रेत को
तू मत तरसा कर

नाता रख घर से, आँगन से
गाय-बछेड़ों से
वरना छाती पर दौड़ेगा
डॉक्टर का आला।

जन्म दिया जिसने, पाला-
पोसा जिसने बरसों
वही हो गया आज, आज से
कल, कल से परसों!

याद सदा रख, पोस मानते
जंगल के पशु भी
चुटकी भर उपकार किसी का दे मत कभी भुला।


Image: Old man seated on a bed, holding a crutch
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Gokuldas Kapadia
Image in Public Domain