सत्ता की यह सनक

सत्ता की यह सनक

सत्ता की यह सनक
युद्ध के
बजे नगाड़े हैं
किसने
किसके पैर उखाड़े
कितने मारे हैं

निरपराध से लड़वाते हैं
निरपराध मरते
सत्ता तो बस हुकुम चलाती
कहाँ सब्र बरते
कहने को हो
हुक्मरान ने
शत्रु पछाड़े हैं

छोटे-छोटे बच्चों का
है क्या कसूर
बोलो
द्विपक्षों में बँटे हुए
तुम अपने मन
तोलो
मौन बने
जो देख रहे हैं
सब हत्यारे हैं

फिलस्तीन या इजराइल
तो एक बहाना है
नर-पशुओं का
सदा युद्ध ही
बना ठिकाना है
मानवता पर हत्यारों ने
पुनः दहाड़े हैं।


Image: improvisation 9-1910
Image Source : WikiArt
Artist : Wassily Kandinsky
Image in Public Domain