आदतन यूँ सोचता है हर कोई

आदतन यूँ सोचता है हर कोई

आदतन यूँ सोचता है हर कोई
उसके साये से नहीं बेहतर कोई

हैं वो हैराँ देखकर ये संगे-मील
जो समझते थे इसे पत्थर कोई

हम भी पा जाते खुदाई मर्तबा
काश! मिल जाता हमें आजर कोई

ये है प्यासा, इसमें है सहरा की प्यास
चाहिए इसके लिए सागर कोई

एक मुहताजे-नजर के वास्ते
सिर्फ से ज्यादा नहीं मंजर कोई

जिस्म तो क्या रूह की जीनत बने
है कहाँ किरदार-सा जेवर कोई

राहे-हक पर जो नहीं ‘दरवेश’ आज
लाएगी इस पर उसे ठोकर कोई


Image name: Head of An Old Man
Image Source: WikiArt
Artist: Quentin Matsys
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दरवेश भारती द्वारा भी