आदमी ज़िन्दा रहे

आदमी ज़िन्दा रहे

आदमी ज़िंदा रहे किस आस पर
छा रहा हो जब तमस विश्वास पर

भर न पाए गर्मजोशी से खयाल
इस कदर पाला पड़ा एहसास पर

वेदनाएँ दस्तकें देने लगीं
इतना मत इतराइए उल्लास पर

जो हो खुद फैला रहा घर-घर इसे
पाएगा काबू वो क्या संत्रास पर

नासमझ था देखा सागर की तरफ
जब न संयम रख सका वो प्यास पर

सत्य का पंछी भरेगा क्या उड़ान
पहरुआ हो झूठ जब आवास पर

दु:ख को भारी पड़ते देखा है कभी
आपने ‘दरवेश’ हास-उपहास पर


Image name: Man of Sorrow
Image Source: WikiArt
Artist: Albrecht Durer
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दरवेश भारती द्वारा भी