अर्पित हो तन- मन अपना भी

अर्पित हो तन- मन अपना भी

अर्पित हो तन-मन अपना भी
मन हो वृन्दावन अपना भी

मधुवन का माधुर्य सलीक़ा
पावन हो आँगन अपना भी

पुतना पस्त हुई मर जाए
भीतर का रावण अपना भी

गंगा यमुना के जैसा ही
निर्मल हो दामन अपना भी

देश रहे ख़ुशहाल धरा पर
सब दिन हो अगहन अपना भी।