दुनिया ने तब सच का लोहा मान लिया

दुनिया ने तब सच का लोहा मान लिया

दुनिया ने तब सच का लोहा मान लिया
जब सच्चाई खुलकर सीना तान लिया

सूरज चाहे छुप जाए तो छुप जाए
चिड़िया नभ तक उड़ जाने को ठान लिया

गाली मत दो धरती को बंजर कहकर
जिनकी कोठी से ताज़ा जलपान लिया

गाएँगे बादल, बिजली, झिंगुर गाने
मौसम के नख़रों को अब पहचान लिया

परदेशी सामान खपाते बातों से
बातों का ही जाल बिछाकर छान लिया।