मेला उदास हैं न

मेला उदास हैं न

मेला उदास है न तमाशा उदास है
पिंजरे में क़ैद वक्त का तोता उदास है

माँ बाप से निबाह नहीं कर सकी बहू
घर का ये हाल देख के बेटा उदास है

मोबाइलों में व्यस्त हैं घर के तमाम लोग
चुपचाप में एक कोने में बूढ़ा उदास है

छोटी सी बात क्यों न समंदर समझ सका
पानी के बीच रह के भी प्यासा उदास है।