नाम महफ़िल‌‌ में मेरा

नाम महफ़िल‌‌ में मेरा

नाम महफ़िल‌‌ में मेरा उन्होंने लिया
आज ढेरों सवालों से मैं घिर गया

हाथ जिसने बढ़ाया था मेरी तरफ़
शक के घेरे में वो अजनबी आ गया

उसपे आरोप संगीन आयद हुआ
अपने हक़ के लिए बोलता जो मिला

धमकियाँ मिल रही हैं नदी को बहुत
बागियों की बुझी प्यास कैसे, बता

एक जासूस तो बाग़ तक आ गया
जाँचने-पूछने, फूल कैसे खिला।


सुभाष राय द्वारा भी