मुहब्बत में तुझे ठोकर लगी है

मुहब्बत में तुझे ठोकर लगी है

मुहब्बत में तुझे ठोकर लगी है तो ग़लत क्या है
मैं हूँ हमदर्द आँखों में नमी है तो ग़लत क्या है

यही होता है कि इनआम मिलता है मशक्कत का
किसी की ज़िंदगी में रोशनी है तो ग़लत क्या है

कमाने का वसीला है न खाने का कोई साधन
परेशाँ आज कल हर आदमी है तो ग़लत क्या है

जहाँ रौशन दिये थे हमने फूकों से बुझाया है
वहाँ पर आज फैली तीरगी है तो ग़लत क्या है

अमीरों ही को खुश रहने का हक़ हासिल नहीं होता
ग़रीबों के लबों पर भी हँसी है तो ग़लत क्या है

गए बचपन के दिन सोलह बहारें देख लीं उसने
वो लड़की शोख़, चंचल, चुलबुली है तो ग़लत क्या है

‘कुमार’ उसने बहुत देखा है रास्ता तेरे आने का
पहुँचने पर तेरे उसको खुशी है तो ग़लत क्या है


Image name: Harvester
Image Source: WikiArt
Artist: Nikolai Kuznetsov
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