मुझे बचपन से कोई

मुझे बचपन से कोई

मुझे बचपन से कोई आना अच्छा नहीं लगता
न जाने क्यूँ मुझे चेहरा मेरा अच्छा नहीं लगता

अगर तुम हँस नहीं सकते तो थोड़ा मुस्कुरा तो दो
कोई भी फूल मुरझाया हुआ अच्छा नहीं लगता

हर इक ग़म का तहे दिल से मैं इस्तकबाल करता हूँ
किसे मेहमान घर आया हुआ अच्छा नहीं लगता

मेरे कुछ दोस्त ऐसे भी हैं जिनकी सोच में ख़म है
उन्हें हिंदू का उर्दू बोलना अच्छा नहीं लगता

मेरी ग़ज़लों की यूँ तो सब बहुत तारीफ़ करते हैं
मगर मुझको कभी मेरा लिखा अच्छा नहीं लगता

ये दुनिया ख़ूबसूरत है, मगर दुनिया तो फ़ानी है
मुझे कुछ भी यहाँ तेरे सिवा अच्छा नहीं लगता


Image name: Portrait of Sergei Rachmaninoff
Image Source: WikiArt
Artist: Boris Grigoriev
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अशोक मिजाज द्वारा भी