मुश्किल से आते हैं

मुश्किल से आते हैं

मुश्किल से आते हैं लेकिन ऐसे पल की आमद से
दिनभर मन महका रहता है एक ग़ज़ल की आमद से

वर्ना वे ख़ामोश खड़े रह जाएँ बस हरियाली में
पेड़ बड़े गर्वीले हो उठते हैं फल की आमद से

मँडराने लगते हैं ख़तरे उनके अपने होने पर
झोपड़ियाँ घुटने लगती हैं एक महल की आमद से

बूँदों में कुछ तो संदेश छुपा होता है बादल का
धरती कितना खिल उठती है ताज़े जल की आमद से

सदियाँ गुज़रीं, मौसम गुज़रे, गुज़रे कितने अफ़साने
यमुना अब तक ख़ुश लगती है ताजमहल की आमद से

चादर ओढ़ उदासी की वर्ना ख़ुद में गुम हो जाए
ताल अभी ज़िंदा लगता है रोज़ कमल की आमद से


Image name: Podzimní Červánky
Image Source: WikiArt
Artist: Jakub Schikaneder
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