सैकड़ों मील चल कर गए

सैकड़ों मील चल कर गए

सैकड़ों मील चल कर गए
लोग घर से निकल कर गए

राह समतल न थी स्वप्न की
इसलिए वो सम्हल कर गए

उनकी आँखें छलकने लगीं
दुःख के बादल विकल कर गए

लोग सचमुच बहुत क्रूर थे
कच्ची कलियाँ मसल कर गए

दोस्त से युद्ध के वास्ते
हम भी चेहरे बदल कर गए

दोनों…छह साल ‘लिव इन’ के बाद
एक-दूजे को छल कर गए

चक्र जीवन का पूरा हुआ,
फूल के बाद, फल कर गए।


Image : Our daily bread
Image Source : WikiArt
Artist : Anders Zorn
Image in Public Domain