सामने जो कहा नहीं होता

सामने जो कहा नहीं होता

सामने जो कहा नहीं होता
तुमसे कोई गिला नहीं होता

जो खफा है खफा नहीं होता
हमने गर सच कहा नहीं होता

अस्ल सूरत न जिससे हो ज़ाहिर
वो कोई आइना नहीं होता

जानता किस तरह कि क्या है गुरूर
वो जो उठकर गिरा नहीं होता

नाव क्यों उसके हाथों सौंपी थी
नाखुदा तो खुदा नहीं होता

तप नहीं सकता दु:ख की आँच में जो
खुद से वो आश्ना नहीं होता

प्रेम खुद-सा करे न जो सबसे
फिर वो ‘दरवेश’ सा नहीं होता


Image name: The Absinth Drinker
Image Source: WikiArt
Artist: Albrecht Anker
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दरवेश भारती द्वारा भी