आना ज़रूर

आना ज़रूर

चहके हरसिंगार
या महके रातरानी
तब भले मत आना
लेकिन आना ज़रूर
चू रहे महु की
नशीली गंध के साथ।

ललछौंहे सूरज या
पियराई चाँदनी के संग
भले मत आना
लेकिन आना ज़रूर
सन्नाटा बुनतीं
अँधियारी जागी रातों में।

झर रहे सावन
या पूस की ठिठुरन में
भले मत आना
लेकिन आना ज़रूर
पुरवा का झोंका बन
अलसा, जेठ में।

उत्सव में, मेले में
या भीड़-भाड़ के रेले में
भले मत आना
लेकिन आना ज़रूर
अकुला, अकेले में
हर्ष में, उल्लास में
या गहन संत्रास में
तुम भले मत आना
लेकिन आना ज़रूर
जब मीठी सी टीस उठे
सीने में बायीं अलंग!


Image name: Where Could He Be
Image Source: WikiArt
Artist: Frederick Morgan
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