सरयू नदी, पानी…और संगीत

सरयू नदी, पानी…और संगीत

समय को तराजू पर तौलने का
साहस किसे है
फिर भी हम चूहे की तरह
पगलाए हुए हैं

झूमर और सोहर
के माहौल में
माँ पैरों में महावर लगाया
ले आई
हल्दी, दूब, अक्षत और कुश

माथे पर सरयू नदी का जल छिड़क
शुरू किया पंडित ने पूजन
पेड़ों की पूजा कराई
हवा ने साथ दिया
बहनों ने आँखों में आसूँ लिए
गालों पर चुम्बन जड़ दिए।

घर में सभी तैयार थे
सज-धज कर
कोई गा रहा था
कोई नाच रहा था
कोई बकबका रहा था
बच्चे लकड़ी तोड़ लाए फुलवारी से
हवन के लिए

इस ख़ुशी को
नज़र लगी
मेंहदिया बस स्टॉप पर
बस ड्राइवर को हार्ट अटैक आ गया

आकाश में एक-दो पक्षी उड़ रहे थे
बस वही दिखाई दे रहे थे
और सरयू नदी का जल
और कोई नहीं
बस वही वही…!


अरुण शीतांश द्वारा भी