किसान

किसान

खेत तुम्हारे लिए सैरगाह होंगे
उनके लिए ज़िंदगी है
गेहूँ, दलहन, गन्ना, चावल तुम्हारे लिए
ज़ायक़ा बदलने की चीज़ें होंगी
मगर उनकी फसलों में
उनकी मेहनत के साथ
उनका हृदय घुला है
तुम इस हृदय का
मनमाना मोल करना चाहते हो
प्यार पर क़ब्ज़ा नहीं होता सरकार!

तुम जिस ज़मीन को पूँजी के
बूटों तले रौंदना चाहते हो
उनके लिए वही भारत माता है
इसीलिए उनके पाँव
खेतों में हल-बैल छोड़कर
देश का अस्तित्व बचाने के लिए
राजधानी कूच कर रहे हैं
हल की मूठ थामने वाली मुट्ठियाँ
हवा में लहरा रही है नारों के साथ

इन्हें अराजक भीड़
समझने की भूल मत करना
कर्मण्येवाधिकारस्ते को
जीवन सिद्धांत मानने वाले
भोले-भाले आस्तिक भाग्यवादी किसान
कोई आंदोलन नहीं कर रहे हैं
धरती पर ईश्वर का
प्रतिनिधि होने का दंभ पाले
दो मुँहे साँपों के दाँत उखाड़ रहे हैं
झूठ की तहरीरें फाड़ रहे हैं
और झाड़ रहे हैं
जमहूरियत के जिस्म पर
लिपटा तानाशाही धूल का ग़ुबार।


Image name: The Angelus
Image Source: WikiArt
Artist: Jean-Francois Millet
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