मेरी पर्णकुटी

मेरी पर्णकुटी

पानी हूँ अक्सर तुम्हें
यादों के झरोखे में
मेरी पर्णकुटी के कोने में
बसती हैं वे तमाम यादें
जब जुगनुओं से चुराए थे हमने
थोड़ी सी रोशनी
थोड़ी उधार ली थी
तारों के दहकन से

हमने बुने थे चमकीले सपने
कसमों की मजबूत गिरह वाले
जब नम घास से छिले थे मेरे पैर
वो तुम्हारी ओस की दवाई
और नरम छुअन
कुटी की नींव का मजबूत गढ़न
खिले थे असंख्य पुष्प
हमने छत को बाँधा था
प्रीत की नरम लता से
गुलाबी किरणों की बारिश
मोहपाश की तुमने रची साजिश
मैं डूब गई थी तब ही
बंधन के गहरे तल में
सहेजना दोनों का दिन भर
प्रेम की कौड़ियाँ
शैवाल के रक्तिम गहने

अंजुरी में समेटना समंदर
और उगाना बालू पर कमल
गिनती तारों की रात भर
देखना उल्का पिंड सहम कर
नहीं ढूँढ़ा कभी दर्पण
नहीं माँगा कभी तरण
अब सूरज की बेशुमार रोशनी में
निगहबान अपना घर

पर पाँव नहीं जलते अब
मुट्ठी से पर फिसलती है रेत
रोशनी की बेपनाह बारिश
चौंधियाती है नजर
कि तुम नजर आते नहीं
दिखते पर अक्सर
स्मृति के तोरण में
हमारी पर्णकुटी के झरोखे से
झाँकते हुए!


Image name: A Girl with her hair unbraided
Image Source: WikiArt
Artist: Ivan Kramskoy
This image is in public domain.