नियति

नियति

संपूर्ण समर्पण सा
वज्र के लिए दधीचि होना
मर्मान्तक पीड़ा सा
दधीचि का वज्र होना…
चलती हैं दोनों क्रियाएँ
जन्म भर…!

नियति बस हँसती है
नियन्ता वो नहीं
निर्भर करता है
तुम पर…
वज्र बनो
प्राण लेने के लिए
या प्राण दो
वज्र बनने के लिए
मिटोगे तुम ही

काया और छाया के बीच
खेल चलता है
यही निरंतर…!


Image name: Me and the Moon
Image Source: WikiArt
Artist: Arthur Dove
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