एक स्पर्श…
- 1 December, 2015
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-kavya-dhara-about-ek-sparsh-by-manjula-upadhyay-manjul/
- 1 December, 2015
एक स्पर्श…
क्यों महकने लगी हवा
संदल सी
लगता है तुम
आस पास हो!
मेरी धड़कन की सदा
कह रही है
हो न हो तुमने भी मुझे
याद किया है।
लगा, कल फिर तुमने
धीरे से कुछ कहा मेरे कान में
वही मुरझाई कली
जब मेरी किताब से गिरी
मेरे कपाल का रंग
मेरे रूखसारों का रंग
आज क्यों सिंदूरी हुआ?
वर्षों पहले तो मुझे
तुमने छुआ था।
न जाने क्यों
लाजवंती की तरह
सिमट गई मैं
शायद मेरी तस्वीर को
तुमने छुआ है।
Image :Girl with flowers by
Image Source : WikiArt
Artist :Federico Zandomeneghi
Image in Public Domain