कविता

कविता

सोचती है देर तक
देखती है दूर तक
पा जाती है अर्थ
समा जाती है
आहत दिलों में
भर देती है स्फूर्ति

एक कविता है चिड़िया
आती है चुपके से
मन के सूने आँगन में
चहचहाती है।
कभी आती है
भागती, हाँफती, बदहवास
लेकर नुचे पंख।

लहूलुहान कंधे
टूटी उँगलियाँ पैरों की
कोसती है चिड़ियाँ
ये बस्तियाँ है अपनी
या गैरों की

वह समझती है
हवा के बदलाव
मौसम के रंग
फिज़ा की खूश्बू
फिर, कैसे मान लूँ मैं
कि तुम नहीं समझते कुछ

कविता
निकलती है दिल से
पहुँचती है दिल तक
नहीं कर पाती ऐसा
समझो निराश है वह
नहीं लिख पाता
अगर मन
समझो हताश है वह।


Image :Evening Migration of birds
Image Source : WikiArt
Artist :Aleksey Savrasov
Image in Public Domain