क्यों नदियाँ चुप हैं?

क्यों नदियाँ चुप हैं?

जब सारा जल
जहर हो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
जब यमुना का
अर्थ खो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

चट्टानों से लड़-लड़कर भी
बढ़ती रही नदी
हर बंजर की प्यास बुझाती
बहती रही नदी।
जब प्यासा हर
घाट से रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

ज्यों-ज्यों शहर अमीर हो रहे
नदियाँ हुई गरीब
जाएँ कहाँ मछलियाँ प्यासी
फेंके जाल नसीब?
जब गंगाजल
गटर ढो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?

कैसा जुल्म किया दादी सी
नदियाँ सूख गईं
बेटों की घातों से
गंगामैया रूठ गईं।
जब माझी ही
रेत बो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं?
जब सारा जल
जहर हो रहा क्यों नदियाँ चुप हैं?


Image :Coastal Landscape with clouds of Moonlight
Image Source : WikiArt
Artist : Knud Baade
Image in Public Domain