अहं से वयं की यात्रा

अहं से वयं की यात्रा

जब शब्द खोते हैं
अपना अस्तित्व
तब बनते हैं, कविता
जब नदी खोती है
अपना होना
तब बनती है सागर
जब धरती खोती है
अपना सूक्ष्म अस्ति भाव
तब बनती है सुगंध और रंग
इस जगत में सुगंध होने के लिए
खोना ही होगा अहं
जो खो पाते हैं इसे
वे ही बन जाते हैं
अहं से वयं।


Image : Rythme
Image Source : WikiArt
Artist : Sonia Delaunay
Image in Public Domain

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