अक्षर का वक्तव्य

अक्षर का वक्तव्य

मैं, अक्षर हूँ
निराकार ब्रह्म हूँ, मैं
शब्द बनकर
साकार होना चाहता हूँ
कविता का शब्द
हो जाना स्वप्न है मेरा
कविता का शब्द बनकर
अव्यक्त को व्यक्त करना अभिलाषा है मेरी
अगर कविता में
झाँकने का सहूर है तुम्हें
तो धरती के उस पार
पाताल लोक
देख सकोगे तुम
और अगर सिर पर
धारण कर सकोगे कविता
अखिल ब्रह्मांडों का
जीवंत प्रसारण
देख सकोगे
सिर पर चढ़ाते ही कविता
तुम्हें, बनाती है
मानव से महामानव
कविता की आराधना
पात्रता का अर्जन है
यह अर्जन
सृष्टि का
सर्वोत्तम सुफल है।


Image : calligraphy exercises detail
Image Source : WikiArt
Artist : Mir Emad Hassani
Image in Public Domain

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