शैवाल

शैवाल

जरा-सी नमी पाकर
थेथर की तरह
कहीं भी उग आते हैं शैवाल
बिना मिट्टी के ही

और
थेथर की तरह ही काट लेते हैं
अपनी पूरी जिंदगी
कहीं भी चिपक कर

बड़े शहरों में
फुटपाथ से चिपक कर
नाली के बगल की झोपड़पट्टी में
या किसी ओवर ब्रिज के नीचे
शैवाल की तरह जी रहे लोगों को देखकर
तुम्हें दुख तो होता है न, कवि?


Image : The funeral of a poor quarter of Paris
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Perov
Image in Public Domain