बचे-खुचे खूँन की रंगत थी

बचे-खुचे खूँन की रंगत थी

मैं अपनी माँ का नाम काफ़ी
बड़ा हो जाने पर भी नहीं जानता था
न दादी का, न माँ का, न भाभी
न कभी लिया किसी ने इनका नाम

सबकी सब अपने शहर और
गाँव के नाम या
फलाँ की माँ, फलाँ की दादी
फलाँ की पत्नी इन्द्राज थी
इस तरह सब भूलती रही अपना नाम

सन् 1962 के आम चुनाव में
हाथ आई मतदान की परची में
अंकित थे माँ, दादी और चाची के नाम
नाम के खुलासे से सिन्दूरी हो उठी थी
रूपवती और फूलझरि देवी हालाँकि
अब माँ और दादी के चेहरे में
नाम का कुछ लेकिन नाम
लगातार उनकी मुनादी कर रहा था
जिसके सुनते ही माँ और दादी की आँखें
कुछ चमक उठी थी और
होंठ कुछ लरज उठे थे
जो नाम में था चेहरों में
उसकी कोई शिनाख्त नहीं बची थी
बस आँखें थीं, होंठ थे और
बचे खुचे खूँन की रंगत थी
जो नाम सुनकर
कुछ देर के लिए ही सही
आँखों में चमक उठती थी।

मैं अपनी माँ का नाम काफ़ी
बड़ा हो जाने पर भी नहीं जानता था
न दादी का, न माँ का, न भाभी
न कभी लिया किसी ने इनका नाम

सबकी सब अपने शहर और
गाँव के नाम या
फलाँ की माँ, फलाँ की दादी
फलाँ की पत्नी इन्द्राज थी
इस तरह सब भूलती रही अपना नाम

सन् 1962 के आम चुनाव में
हाथ आई मतदान की परची में
अंकित थे माँ, दादी और चाची के नाम
नाम के खुलासे से सिन्दूरी हो उठी थी
रूपवती और फूलझरि देवी हालाँकि
अब माँ और दादी के चेहरे में
नाम का कुछ लेकिन नाम
लगातार उनकी मुनादी कर रहा था
जिसके सुनते ही माँ और दादी की आँखें
कुछ चमक उठी थी और
होंठ कुछ लरज उठे थे
जो नाम में था चेहरों में
उसकी कोई शिनाख्त नहीं बची थी
बस आँखें थीं, होंठ थे और
बचे खुचे खूँन की रंगत थी
जो नाम सुनकर
कुछ देर के लिए ही सही
आँखों में चमक उठती थी।


Image : Portrait of old woman
Image Source : WikiArt
Artist : Guido Reni
Image in Public Domain