कम्फ़र्ट ज़ोन
- 1 October, 2022
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-comfort-zone-by-sarika-bhushan/
- 1 October, 2022
कम्फ़र्ट ज़ोन
माँ बूढ़ी हो रही
पिता भी बूढ़े हो रहे
चुभता है
प्रकृति का यह नियम
चुभती है
उनकी बढ़ती शारीरिक शिथिलता
मैं खुद को देखती हूँ
दिखते हैं उनके पुराने दिन
डर जाती हूँ
यह सोचकर
कि उन दिनों वे ज्यादा ऊर्जावान थे
जितनी मैं आज हूँ
तब तो न थी इतनी सुविधाएँ
और न इतनी बीमारियाँ
फिर हमारा क्या होगा
अपने कम्फ़र्ट ज़ोन में रहते हुए
उनकी उम्र में पहुँचकर?
Image : Woman with Green Chair
Image Source : WikiArt
Artist : Pierre-Auguste Renoir
Image in Public Domain