सिरफिरा जनगणना अधिकारी
- 1 March, 2021
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- 1 March, 2021
सिरफिरा जनगणना अधिकारी
सभी
उसे कहते हैं गलबा
अगर हवेली में जन्मा होता
तो आदर से पुकारते गुलाबजी
पसीना गुलाब की तरह महकता
हवेली की मजबूत दीवारें
बचाए रखतीं उसे
लू, वर्षा, तूफान, सर्दी
और ऐसे ही
मौसम के तमाम सदमों से
जनगणना अधिकारी पूछता
गाँव का वीआईपी कौन है
लोग झट से जवाब देते गुलाबजी
ठाकुर सा
ऊँचे सपने देखने वालों की
बात ही कुछ और है
मगर गलबा
नहीं देखता है सपने
वह दूसरों के सपनों को ढोता है
लादे हुए है सूरज को
सदियों से अपनी पीठ पर
कुचल रहा है
जेठ की तपिश को पैरों तले
मसल रहा है पौष की ठंड
अपनी खुरदरी हथेलियों के बीच
पसीने में बहा रहा है
दुनिया की मैल
झेल रहा है मूसलाधार बरसात
लू के थपेड़ों को थप्पड़ मार रहा है
दूसरों के लिए
वह सब कर रहा है
जो अपने लिए सोच भी नहीं सकता
तेरे बिन गलबा
एक पत्थर तक न हिले इस गाँव का
न उगे सुंदर दीवारें धरती को फोड़कर
दीवाली पर घर न चमकें
समारोह में जाना रुक जाय कुलीनों का
अगर तू रातों को सो जाए
बच्चे दूध बिन बिलबिलाएँ
जो मरखने ढोर-डांगर को
तू चारा न खिलाए
गलबा
तू ही सच्चा वीआईपी है
चलो जनगणना का श्रीगणेश
तुम्हीं से करते हैं
कहता है
सिरफिरा जनगणना अधिकारी।
Image : Martin Luther as Junker Jörg
Image Source : WikiArt
Artist : Lucas Cranach the Elder
Image in Public Domain