नाटक
- 1 October, 2022
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-drama-by-shrey-karkhur/
- 1 October, 2022
नाटक
नाटक ख़त्म हो जाता है
एक्टर अपने किरदारों को
पीठ पर लादकर ले जाते हैं
और स्टेज पर दो खाली कुर्सियाँ
रखी रह जाती हैं
स्टेज सूना पड़ा है।
लोगों की नज़रें
अब भी कुर्सियों पर हैं
कि वह दोनों भी एक्टर हैं
जो नाटक ख़त्म होने के बाद भी
अपना किरदार निभा रहे हैं
चुप रहने का
और जगह घेरे रहने का।
उन्हें इंतजार है
उनके हिस्से की तालियों का,
कि उन्होंने भी
सहायक भूमिका निभाई है।
बाकियों की तरह
अपने किरदार से बाहर आने का
उन्हें कोई इंतज़ार नहीं।
उन्हें सिखाया गया है कि
किरदार का अंत सिर्फ
जीवन के अंत के साथ होता है।
जनता चली जाती है
कुर्सियों के लिए
कोई ताली नहीं बजाता।
बैक स्टेज से दो लड़के आते हैं
और कुर्सियाँ उठा ले जाते हैं।
Image : Van Gogh_s Chair
Image Source : WikiArt
Artist : Vincent van Gogh
Image in Public Domain