स्वप्न सच्चाई

स्वप्न सच्चाई

रात के गहराते ही
जब शिथिल पड़ जाती हैं इंद्रियाँ
बढ़ जाता है दर्द
सुई सी चुभती हैं यादें
और
उन यादों में लिपटा अतीत
जहाँ
मैं निःसहाय दिखती थी
और
तब मैंने खोला खुद को
मैं स्वछंद थी
और
तुम हमेशा की तरह
अपने अहंकार से घिरे हुए।
अब
मैं
तुमसे आँखें
नहीं मिलाना चाहती।


Image : Red and White
Image Source : WikiArt
Artist : Edvard Munch
Image in Public Domain