दृश्य

दृश्य

शहर भर की सुबह को ताजा दम करते
घर-घर कूड़ा उठाते
नगर निगम कर्मी की
लौटती पीठ पर लदे बोरे में से
यकायक चू पड़ी
गीले कूड़े से रीती
लिसलिसी काली धार
पैरहन से पीठ में उतरती
चुभतरी चीरती सी
ठंडी, बसाती, चिपचिपी धार
यकायक एक जिंदा पीठ और देह को
बजबजाते एक गटर में बदलती हुई

इस बहतु खटकती चीजों को
बेखटके देखे जाने की
आदत की तरह भी देखा जा सकता है

या लापरवाही भर मानकर
गरिया सकते हैं आप
गीला कचरा डालने वाले
किसी अहमक को
और एक प्रवृति मानसिकता
और परंपरा को अनदेखा कर
दे सकते हैं मौन समर्थन!

आप देखना चाहें तो देख सकते हैं
झुकी इस पीठ की उस तरफ की
पस्त दुबली धूसर देह और शक्ल
सदियों से लगातार बलात्
धकेला जा रहा जिसे
मनुष्य होने की उसकी अस्मिता से
बहुत-बहुत नीचे

आप देखना चाहें तो देख सकते हैं
कि भूख की पीठ पर
अपने वीभत्स मसखरेपन वाली
असत शक्ल में
कैसा दिखाई देता है
सदियों से चल रहा
आपका स्वच्छ भारत अभियान

आपकी कलानुरागी आँखों में
ठहर सकता है दृश्य
एक मॉडर्न पेंटिंग की तरह भी
सजाया जाता हुआ किसी
शफ्फाक दीवार पर
लेकिन अफसोस यह ठंडा जड़
केनवास नहीं एक जिंदा पीठ है
कुछ ऐसे ही देखना हो
तो कह रहा है दृश्य
कि पीठ पर निचुड़ती
इस धार को गौर से देखो–
यह सभ्यता विकास के नक्कारखाने में
मनुष्य होने के सार्वजनिक अपमान पर
सदियों से पिराती सिसकती एक पीठ
एक मनुष्य और मनुष्यता की
पूरी देह और वजूद से फूटती
अश्रुधार है।


Image : Young seated worker
Image Source : WikiArt
Artist : Adolph Menzel
Image in Public Domain