रंगरेज
- 1 October, 2022
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-dyer-by-prakash-sahu/
- 1 October, 2022
रंगरेज
नहीं रंगी गई दीवाल के पास एक पेड़ है
जिसने उसकी पत्तियों को हरा रंगा है
रंग सकता था दीवाल को भी
हरा, सफेद, काला या कोई भी रंग जो उसके पास होता
रंग नहीं होता
तो रंग सकता था
सड़क से समेटकर
धूल का भूरा रंग
या आसमान से लाकर उसका नीला रंग
कुछ तो पहन लेता
दीवाल से सटकर नंगा लेटा भिखारी
बिना रंगी दीवाल के रंग को
‘भूख’ क्यों कहता
रंग देता दीवाल को, उधड़ी चमड़ी का स्लेटी रंग
नंगा भरपेट खाकर चैन की नींद सोता
वह मारा गया या मरा हुआ भिखारी।
Image : Poor old Greek Anatolia
Image Source : WikiArt
Artist : Arshak Fetvadjian
Image in Public Domain