धरती
- 1 December, 2016
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- 1 December, 2016
धरती
झूरी काछी
अब खेतों में
तुम्हारे हीरा-मोती
नहीं पड़ते हैं दिखाई
क्योंकि खेतों में ट्रैक्टर ने
जमा लिये हैं हाथ-पाँव
तुम्हारे होने भर से
धरती महसूसती थी
अपनापन और प्यार
ऐसा कि तुम हो अपने
धरती पर बरसाने वाले स्नेह
हीरा-मोती
तुम जोतते थे मुझे
तो लगता था कि
रूई के फाल से
मेरे ऊपर गुदगुदी कर रहे हो
पर ट्रैक्टर को देखते ही
काँप जाती है रूह कि अब
मेरे गर्भ में डाले जाएँगे
ऐसे उन्नत खाद और बीज
कि असमय ही
जनना पड़ता है
हाईब्रीड फसल
ऐसी फसल जिसे झूरे ने
कभी नहीं चाहा था
और नहीं चाहा था
प्रेमचंद ने
झूरी के परिवार की
खुशहाली के लिए
मेरे द्वारा जने
फसल ही काफी थे
लेकिन अब तो
लोगों में ऐसी हवस है
कि कितना भी दूँ उन्हें
आत्म संतोष ही नहीं होता।
Image : Farmhouses in a Wheat Field Near Arles
Image Source : WikiArt
Artist : Vincent van Gogh
Image in Public Domain