एक गान जो साक्षी है

एक गान जो साक्षी है

बेशक सदियों से
एक गान
साक्षी की तरह रहा
तुम्हारे-मेरे मध्य
और–
तुम्हारे-मेरे बीच का
यह स्वर्णिम तार
जोड़े रहा
हम दोनों को प्रतिक्षण

लेकिन!
हुआ यह भी कई बार
–कोई ज्वालामुखी
टूट पड़ा इस पर,
तार बोदा पड़ गया;
किसी भयंकर
तूफान की चपेट में
लड़खड़ा गया बुरी तरह
और काँप गया
कभी
बर्फ की किसी चट्टान ने
इसे पीस ही डाल

…मैं हर बार
हर चोट पर हर प्रकार
सँभालती रही इसे

सुनो…
अब मुझ अकेले से
नहीं सँभल पाता
यह तार,
उसकी चोट से
हो रही हूँ
मैं भी आहत, निष्प्राण
–मेरी खातिर न सही
बस…
अब इसकी खातिर तुम्हें
लौट आना चाहिए

फिर!
मैं चाहती हूँ कि–
यह गान
जो साक्षी है
मेरा-तुम्हारा
उसे बचे रहना चाहिए
सदा के लिए!


Image : The Cellist
Image Source : WikiArt
Artist :Joseph DeCamp
Image in Public Domain