सैलाब

सैलाब

क्या खुला अचानक
कि आकाश दिख गया,
मेरी नज़र में कैसे
इंद्रधनुष खिल गया!

क्या हुई खामोशियाँ
कि झर गई पत्तियाँ
सारे दरख्तों की,
मेरी नजर में यूँ
कैसे इसके पतझर हो गया!

धूप थी खिली चटक
कोई साया पसर गया,
मेरे वजूद में आकर
आहिस्ता-से
कोई फूल खिल गया!

कहाँ रुकना, कहाँ जाना
किनारों के पत्थरों का।

Image : Autumn
Image Source : WikiArt
Artist : Konstantin Korovin
Image in Public Domain


शोभनाथ यादव द्वारा भी