गाँव की औरतें

गाँव की औरतें

मेरे गाँव की औरतें बीड़ियाँ बनाती हैं
पत्ता तराशती हैं
खुरदुरे को नर्म करती हैं
मेरे गाँव की औरतें चूल्हे बनाती हैं
ढाल देती हैं
आकार गढ़ती हैं
मेरे गाँव की औरतें आँगन लीपती हैं
कँगूरे बनाती हैं
उतार-चढ़ाव का ध्यान रखती हैं

उनके फुर्तीले हाथ देखकर
मैं अक्सर सोचती हूँ
औरतों की क़ैंची ज़ुबान पर
दुहाई देने वालों ने
कभी औरत के हाथ क्यों नहीं देखे?