गिरने की आवाज़

गिरने की आवाज़

इस पृथ्वी पर जो कुछ होता है
उसके होने के निशान भी छूट ही जाते हैं
उसके विदा होने के बाद
जैसे दीवार से गिर जाती है तस्वीर
कील वहीं गड़ी रहती है उदास

जैसे काटे गए पेड़ की जगह का ख़ालीपन
एक दिन पूरी कहानी कह देता है
पेड़ के बड़े होने और पत्तों से भरने की
फूलने और फलने की तमाम तस्वीरें
बीते दिनों की
एकाएक कौंध जाती है

जो पेड़ काटता है
वह आख़िर क्या सोचता है कि
इतना मगन होता है जड़ काटते हुए

उसके गुनगुनाने की आवाज़ सुनकर
डर जाता हूँ मैं
कैसे कोई हरे-भरे पेड़ को काटने का
काम भी, इतने मज़े से कर सकता है

फिर मुझे लगता है कि
यह जो पेड़ काट रहा है मज़े में
कोई इसकी भी जड़
इतनी ही सावधानी से काट रहा है

गिरने की आवाज़ का गूँजना
अभी बाक़ी है।