हुआ बहुत हैरान

हुआ बहुत हैरान

हुआ बहुत हैरान देख मैं हाल गाँव का

यहाँ नहीं पनघट है, अब चौपाल नहीं है
गाड़ी के पहिये के ऊपर हाल नहीं है
खाक हुआ चूल्हे में जल जीवन अलाव का

यहाँ न जाँता, ढेंकी, रेहट चलते देखे
परिचित चेहरे भी लगते अजनबी सरीखे
घट्ठा चुभने लगा बहुत अब हाथ-पाँव का

होता गले लगाने में संकोच यहाँ अब
रिश्तों के तन पर उग आई खोंच यहाँ अब
नागफनी के जंगल-सा है दु:ख अभाव का

आँखों में अब प्यार नहीं संदेह भरा है
लालच, तृष्णा, छल, फरेब का मेह भरा है
कसा हुआ-सा दीख रहा फंदा तनाव का

पहले जैसी नहीं मिठास रही गन्ने में
निरख रहे हैं सभी अपर को चौकन्ने-से
नाम-निशान न है भाईचारे-लगाव का।


नचिकेता द्वारा भी