मैं पार्क में घूम रहा था
- 1 December, 2016
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-i-was-walking-in-the-park-by-leeladhar-mandloi/
- 1 December, 2016
मैं पार्क में घूम रहा था
शाम के 7 बजे मैं पार्क में घूम रहा था
अजीब सी चहल-पहल
अजीब सा शोर
मानो शादी-ब्याह की सज-धज
रोज़ की तरह मैं
सुन रहा था चिड़ियों का मद्धिम संगीत
वहाँ पत्तियों के
सरसराहट की मोहक ध्वनि थी
यकायक तेज़ शोर-सा
पलट के देखा तो डी.जे. से उभरता
कर्कश-सा सिंहनाद
इतना तीव्र और धमाकेदार
वह भी एक छोटे से पार्क में
और कान जैसे एकदम सुन्न
ठीक सामने तेज़ धप्प की ध्वनि
देखा मैंने घास पर एक पक्षी को
पँख फड़फड़ाते हुए
कुछ ही पलों में वह निष्पंद
शोर से होने वाली
इस पहली मौत से मैं डरा
मैं तेज़-तेज़ भागा
डी.जे. मेरे भीतर कलेजे पर
देर तक बजता रहा
देर तक मैं जीने की कोशिश में रहा
देर रात मैं अस्पताल से लौटा।
Image : Dead Bird With Judas Medal
Image Source : WikiArt
Artist :Jan Mankes
Image in Public Domain