जीवित हैं ममता भरे अर्थ

जीवित हैं ममता भरे अर्थ

माँ कहने वाला नहीं रहा
ममता भरे वे दिन
एक लंबी और दुःखद प्रतीक्षाओं में जा ठहर
गोद से लेकर
मस्तक चूमे जाने की उम्र तक के वे दिन
पल-पल कसक में बिखर
लौट आते सूने कमरों में
हर तरफ़ से, हर कोने से
कहते हैं…माँ
भूख कब लगना शुरू होती
बग़ैर भाषा की उम्र से जानती रही माँ
होंठ पर रखी हुई उँगली भर से
ख़ुशियों की भाषा
लिख देने का हुनर भी
तो माँ ही जानती थी
माँ कहने के लिए अब कोई चेहरा भले नहीं हो
वे चीज़ें तो है अभी भी
जो माँ ने बनाई
सँवारी जीवन में
वे सब चीज़ें पुकारेगी
बार-बार घर के हर कोने से बुलाएँगी
माँ…! माँ…!
माँ कहने वाला नहीं रहा तो भी
ममता भरे अर्थ नहीं मरे अभी
उन चीज़ों में ज़िंदा हैं।