अभी-अभी निराला से हाथ मिलाकर
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अभी-अभी निराला से हाथ मिलाकर
अभी-अभी निराला से हाथ मिलाकर आए थे वे
सुनाने लगे हाल
कि कैसे मिले थे पहली दफा
और कैसा था रोमांच
तब निराला लगते थे
बिलकुल यूनानी देवताओं जैसे!
सुनाने लगे कि जब पार्क में
बैठकर सुनी थीं उनसे कविताएँ
टैगोर की तो कैसा था समाँ!
सुना रहे थे तो बीच में ही
दिलचस्प एंट्री लेते
चले आए कहीं से
टहलते-टहलते नागर जी
दोनों मिले धधाकर और
होने लगा नाटक बड़ा प्यारा-सा
नागर जी बोले हम तुमसे
बड़े हैं आप कहो
क्या तुम-तुम लगा रखा है!
मगर रामविलास जिद पर हैं
कि आप हमसे न कहा जाएगा।
यह नाटक कुछ और
दूर तक चल सकता था
कि इतने में खरामाँ-खरामाँ
कहीं से चले आए केदार
अपने बाँदा शहर की
धज और केन नदी की
भरपूर आर्द्रता लिए आँखों में
फिर तीनों के मिलने पर
तीनों की पुरानी स्मृतियों ने मिलकर
वो मचाया गुलगपाड़ा
कि भूलकर इंटरव्यू
भूलकर सारी चुस्ती-फुर्ती जमाने की
मैं देखता रहा
एक अथक फिल्म जो मेरे
सामने चल रही थी और
अभी चलनी थी अनंत काल तक!
Image: Tagore at Akademi
Image Source: Wikimedia Commons
Image in Public Domain