सपने में तोल्स्तोय से मुलाकात

सपने में तोल्स्तोय से मुलाकात

सपने में मिल गए तोल्स्तोय
मैंने पूछा लिया
आपको साहित्य का नोबल नहीं मिला
इसका कुछ मलाल है आपको

अपनी विशाल टोपी
ठीक करते हुए बोल पड़े तोल्स्तोय-

मुझे क्या,
तुम्हारे कबीर को भी नहीं मिला था
साहित्य का नोबेल, न सूरदास को ज्ञानपीठ
न तुलसीदास को सरस्वती सम्मान

साहित्य की अकादमियों के दरवाज़े पर
कभी नहीं देखे गए रैदास

अपने कुंभनदास को ही देख लो
हिंदी संस्थानों से कहीं ज्यादा
अपनी टुटही पनही को
तवज्जो देते हुए मिल जाएँगे

तो प्यारे, अभी नोबेल को छोड़ो
मुझे जल्दी है अपनी पनही ठीक करानी है

और, फ़ौरन से पेशतर पहुँच जाना है
अपनी अन्ना के पास
जो अब भी मेरा इंतज़ार कर रही है।


Image: portrait of leo tolstoy-1873
In valley and distant jan brueghel the elder
Image Source: WikiArt
Artist : Ivan Kramskoy
Image in Public Domain