कवि डबराल को पढ़ा

कवि डबराल को पढ़ा

घास के
समय से कंघा कर रहे रंग को

आभा में
ओस में

धूप के शब्दकोष में
खोजी-जुगनू
के न दिख रहे श्रम की कविता

लमसम की कविता

न उँगली को पकड़ती
सीढ़ीयाँ चढ़ती
न मोर्चा खड़ा करने को दौड़ती-हाँफती

ऐनक सुधारती कविता
बटन टाँकती
पौधे लगाती
कूड़ा-करकट हाथों से झाड़ती

घास को सहलाती

समय का कंघा
कहीं रखती
भूलती
कविता

अहंकार में हार देखती

परिपक्वता के वक्तव्य से भागती

शीर्षासन में कविता!

दीवाल का सहारा लेती
इशारा देती

छूप रहे प्रकाश को छूती
बादलों का
किनारा कविता

बीज को बोती
पहली पोती

छोटी-छोटी नसीहत वाली
हाल चाल
और तबीयत वाली

दान में सब कुछ देने वाली
बिल्कुल ख़ाली!
वसीयत कविता


अभिजीत सिंह द्वारा भी