जीवन कितना सुंदर है
- 1 October, 2022
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-life-is-so-beautiful-by-kedarnath-mishra-prabhat/
- 1 October, 2022
जीवन कितना सुंदर है
ना, इन फूलों पर न बनेगा
मन-मधुकर मतवाला!
अब न पियेगा स्वप्न-सुरभि–
मदिरा का मादक प्याला!!
काँटों में उलझा देना
जीवन कितना सुंदर है!
सुंदरतर है जीवन की
नैराश्य-आग की ज्वाला!!
आ सखि व्यर्थ! आज मैं तेरी
वंशी मधुर बजाऊँ!
हरियाले उन्माद-कुंज का
वनमाली कहलाऊँ!
तू आया है आज लूटने को
सर्वस्व हमारा!
छीन, क्षितिज में छिप जाने को
जीवन का सुख सारा!
कुचलेगा पंखड़ियाँ तू
सौरभ ले उड़ जाएगा!
होगा फिर क्या बेचारे
मधुकर का बोल, सहारा?
ठहर, ठहर, क्षण-मात्र ठहर तू
मत कर यों मनमानी!
हाय! कलेजा टुकड़े-टुकड़े
होगा रे अभिमानी!
Image : An Alcoholic Man with Delirium
Image Source : WikiArt
Artist : Eugène Burnand
Image in Public Domain