मैं जानता था
- 1 August, 2015
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-about-mai-janta-tha-by-tejendra-sharma/
- 1 August, 2015
मैं जानता था
घर जिसने किसी गैर का आबाद किया है
शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया है
जग सोच रहा था कि है वो मेरा तलबगार
मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है
तू ये ना सोच शीशा सदा सच है बोलता
जो खुश करे वो आईना ईजाद किया है
सीने में जख्म है मगर टपका नहीं लहू
कैसे मगर ये तुमने ऐ सैय्याद किया है
तुम चाहने वालों की सियासत में रहे गुम
सच बोलने वालों को नहीं शाद किया है।
Image : Landscape with Couple Walking and Crescent Moon
Image Source : WikiArt
Artist : Vincent van Gogh
Image in Public Domain