पहाड़

पहाड़

पहाड़ों पर चढ़ाव
धीरे-धीरे होता गया
और हम पहाड़ पर पहुँच गए
नीचे देखने पर
सभी एक सा दिखा…
न कोई छोटा
न कोई बड़ा
नदियाँ, खेत-खलिहान
वृक्ष, पौधे सभी बराबर
माँ कहा करती थीं…
ऊँचाई से देखने पर
सब कुछ बराबर दिखता है।

बड़े-बड़े चट्टान
चट्टानों के अंदर से
बहता जल स्त्रोत
झर-झर करता हुआ
जैसे उसने मुझसे कुछ कहा…
मैं अचंभित
इधर-उधर देखी
यह आवाज़ कैसी?
मैंने महसूस किया
पहाड़ों का दिल धड़क रहा था।


चित्रलेखा द्वारा भी