माँ ने कहा था

माँ ने कहा था

माँ ने कहा था

बेटी, घर-परिवार में

सबके खाने के बाद ही खाना
बड़ों की किसी बात का जवाब मत देना
ससुराल में नौकर तक को
आप कहकर बुलाना

माँ ने कहा था बेटी, कुल की लाज रखना
पति की लंबी आयु के लिए
तीज-त्योहार में व्रत रखना
जब बनना मीठी नदी बनना
जब सीखना नदी से सीखना
ग़म में भी सबको सुख देना

माँ, तुमने जो कहा

मैंने वही सब कुछ किया

मैंने जो सीखा नदी से सीखा

सबको पवित्र किया नदी-सी बहती

लेकिन माँ तुमने यह कहाँ बताया
कि समुद्र की गर्जनाओं में खो जाऊँगी मैं
विलीन हो जाऊँगी मैं

माँ, तुम्हारा कहा मानते हुए

अपना वजूद बचाने में लगी हूँ

तुम इस बारे में भी कुछ कहो न माँ!


Image : Portrait of Elizabeth Pushkina
Image Source : WikiArt
Artist : Boris Kustodiev
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