मेरी कविता मुझसे करती है सवाल

मेरी कविता मुझसे करती है सवाल

तुम कैसे हो मधुकर बाबूलाल
अब तुम मुझ से नाता तोड़ो
भूखे मरने से अच्छा है
और कहीं जाकर नाता जोड़ो
मैंने हरदम तुमको तंग किया है
तुमसे हरदम जंग किया है
फिर भी तुमने हार नहीं मानी
अब तक मैंने तुमको नहीं पहचानी
अरे, अभी भी तुम में दम है
जाकर कहीं मौज मनाओ
छोड़ो संग हमारा छोड़ो
मेरे साथ माथा मत फोड़ो
मैंने तुमको नाम दिया है
किंचित मान दिया है
सच पूछो तो विष दिया है
जिसको तुमने खूब पिया है।


Image : Portrait of Erasmus of Rotterdam
Image Source : WikiArt
Artist : Quentin Matsys
Image in Public Domain

बाबूलाल मधुकर द्वारा भी